हमारा समाज आज जिस तरह से प्रगतिशील है, उसकी यह गति, उसकी यह दिशा, जिस तरह से हमारी मानसिक, शारारिक, सामाजिक और भावनात्मक स्थिति को प्रभावित कर रही है, जिससे डिप्रेशन की समस्या उत्पन्न हो रही है और महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण ज्यादा दिख रहे है कही हमे ये संकेत तो नहीं कर रही है, की हमारी गति सकारात्मकता से नकारात्मकता की और अधिक बढ़ रही है।
अगर हम समय मे कुछ पीछे जाये तो हम एहसास करगे उस वक्त जो हमारी सामाजिक और भावनात्मक स्थिति मे एक जुड़ाव और द्रढ़ता थी जो डिप्रेशन से बाहर निकलने का उपाय है वो आज विलुप्त सी हो गयी है। तब सुविधाए कम थी परन्तु आत्मसंतोष अधिक था, मन मे आगे बढ़ने की इच्छाये तो तब भी थी परन्तु सामाजिक और व्यक्तिगत दायित्वों के मूल्यों का पूर्ण आभास भी था। जीवन का यही परस्पर संतुलन मानव समाज को एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करता है।
डिप्रेशन क्या है?
What is Depression in Hindi?
डिप्रेशन क्या है इसे इस प्रकार समझते है, भावनाये मानव जीवन की प्राण शक्ति है, यही उसे जीवंत होने का एहसास कराती है। भगवान ने मानव को इसी प्रकार रचा है, उसे भावनाओं की शक्ति प्रदान की है, जब तक ये भावनाये सकारात्मक रहती है, तब तक वो गतिशील रहता है, परन्तु जैसे ही वो भावनाये नकारात्मक होने लगती है उसकी गति रुकने लगती है और यही से डिप्रेशन या एक मानसिक विकार का जन्म होने लगता है।
इसे हम साधारण भाषा मे समझे तो यह एक ऐसा असंतुलन है जिसमे भावनाये बहरी तत्वों से ना जुड़ कर स्वयं तक ही सिमित हो जाती है और इनका दबाव मस्तिष्क मे नकारत्मक विचारो को जन्म देने लगता है जो डिप्रेशन का लक्षण है, जहां मनुष्य स्वयं को पीड़ित, अकेला, दोषी, असहाय और घृणित समझने लगता है। आयर्वेद के अनुसार डिप्रेशन के मुख्य कारण हमारे मानसिक, पाचन क्रिया, ज्ञानेन्द्रियो, शारारिक और जीवन शैली मे हुऐ बदलाव होते है।
अमेरिकन साइकेट्रिक एसोसिएशन (American Psychiatric Association) के अनुसार डिप्रेशन एक सामान्य परन्तु एक गम्भीर मानसिक विकार है। जो हमारे अंदर नकारात्मक विचारों और कृत्यों को उत्पन्न करता है। अवसाद से ग्रसित होने की कोई उम्र नहीं होती तनाव युक्त जीवन, अत्यधिक महत्वकांशी होना, खान पान मे परिवर्तन, टेक्नोलॉजी पर अत्यधिक निर्भर होना, सामाजिक और पारवारिक सम्बन्धो का लगातार सिकुड़ना इसकी सम्भावनाओ को प्रबल करते जा रहे है।
विश्व स्वास्थ संगठन (W. H. O) के अनुसार आज 6 मे 1 महिला और 8 मे से 1 पुरुष डिप्रेशन से ग्रस्त है। विश्व मे 26, 40, 00, 000 लोग अवसाद से ग्रसित है, विश्व में लगभग 8, 00, 000 लोग हर वर्ष आत्महत्या करते हैं, जिसमे से 1, 35, 000 (17%) भारतीय होते हैं। आत्महत्या करने का अनुपात 2017 में हर 1, 00, 000 व्यक्तियों में 7.9 था जो 2020 मे बढ़कर 10.9 हो गया और जो अब बढ़कर 11.5 हो चूका है।
अब हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या का शिकार हो जाता है और हर 3 सेकेंड में एक व्यक्ति इसका प्रयास करता है। यह सभी डाटा विश्व स्तर पर W.H.O. (वल्र्ड हेल्थ आर्गेनाईजेशन) द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
डिप्रेशन के प्रकार
अध्यन से ये बात सामने आयी है की शहरी लोगो में गाँव या देहात में रहने वालों से अधिक, शिक्षितों में अशिक्षितों की अपेक्षा अधिक और धनवानों में गरीबो की अपेक्षा इस बीमारी की सख्या अधिक है। डिप्रेशन को हम कई प्रकार विभाजित करके देखते है।
- मुख्य अवसाद (Major Depression)
- क्रोनिक अवसाद या डायस्टिमिया (Chronic Depression or Dysthymia)
- सीजनल इफेक्टिव अवसाद (Seasonal Affective Depression)
- साइकोटिक अवसाद (Psychotic Depression)
- बाइपोलर अवसाद (Bipolar Depression)
मुख्य अवसाद (Major Depression)
इसमे व्यक्ति के अंदर गहरी आशाहीनता और निराशा का भाव प्रबल हो जाता है। जीवन मे अत्यधिक महत्वकांशी होना किसी वस्तु को प्राप्त करने की प्रबल इच्छा या किसी चीज को खो देने का भय इसका मुख्य कारण है।
क्रोनिक अवसाद या डायस्टिमिया (Chronic Depression or Dysthymia)
कुल डिप्रेशन के मरीजों मे लगभग 25% संख्या इन्ही की होती है इसके लक्षणों मे मतिभ्रम होना कुछ ऐसा देखना या सुनना जो वास्तव मे नहीं होता छोटी छोटी बातो पर क्रोध करना तर्कहीन विचार देना और एक अनजाने भय से हमेशा ग्रसित रहना इसके प्रमुख लक्षण है।
सीजनल इफेक्टिव अवसाद (Seasonal Affective Depression)
यह एक लम्बे समय तक चलने वाला अवसाद है परन्तु इसे मुख्य डिप्रेशन की तरह ज्यादा गंभीर नहीं माना जाता। इसमे सामान्य तौर पर रोगी अपना कार्य करता रहता है परन्तु वह हमेशा उदास और नाखुश रहता है। सामन्यत यह अवसाद वयस्कों मे कम से कम दो वर्ष और बच्चो मे कम से कम एक वर्ष तक रहता है।
साइकोटिक अवसाद (Psychotic Depression)
इस तरह का डिप्रेशन मौसम से प्रभावित होता है ज्यादातर यह साल मे एक ही बार होता है। यह वसंत से शुरू होकर गर्मियों मे समाप्त हो जाता है और सर्दियों से शुरू होकर वसंत मे समाप्त हो जाता है। इसका एक दुर्लभ रूप गर्मियों का अवसाद (Summer Depression) के रूप मे भी जाना जाता है। डिप्रेशन के लक्षण मे चिड़चिड़ापन, उदासी, किसी काम मे रूचि ना लेना, सामाजिक समारोह से दूर रहना, ध्यान केंद्रित करने मे दिक्कत आना है।
बाइपोलर अवसाद (Bipolar Depression)
इस तरह के डिप्रेशन मे मन कई हफ्तों या महीनो तक बहुत उदास या बहुत खुश रहता है। उदासी मे मन मे नकारत्मक विचार उभरते है और ख़ुशी मे आधारहीन कल्पनाये उभरती है, इसमे मन दो अलग अलग स्थितियों जाता रहता है।
डिप्रेशन का लक्षण
बेवजह क्रोध आना, चिड़चिड़ापन, ध्यान केंद्रित ना होना, उदास रहना, अत्यधिक हताशा, अधिक नींद या कम नींद आना, दुसरो से अलग रहना, सामाजिक समाराहों से दूर रहना, स्वयं मे केंद्रित रहना, सिर मे दर्द रहना, निर्णय लेने की क्षमता कम होना, अपराध बोध होना, मन का हमेशा भयभीत रहना, खान पिन मे असंतुलन इसके मुख्य कारण है।
यह अनुवांशिक भी हो सकता है जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी मे जा सकता है। दिमाकी स्थिति मे परिवर्तन आना चाहे किसी चोट के कारण या अचानक किसी अप्रत्याक्षित घटना के कारण मानसिक आघात लगना। अचानक शरीर मे हार्मोन्स का असंतुलित होना। मौसम मे परिवर्तन के कारण। जीवन मे किसी घटना का अत्यधिक प्रभाव पड़ना इसके कुछ प्रमुख कारण है।
महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण
WHO के अनुसार दुनियाभर में 30 करोड़ से ज़्यादा लोग डिप्रेशन की समस्या से ग्रस्त है, भारत में यह आंकड़ा 5 करोड़ से ज़्यादा है जो कि एक बहुत गंभीर समस्या है। सामान्यतया अवसाद के लक्षण किशोरावस्था या 30 से 40 साल की उम्र में दिखाई देते है लेकिन यह किसी भी उम्र में हो सकता है। लेकिन पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षण ज़्यादा दिखाई देते है।
महिलाओं में डिप्रेशन के लक्षणों की संख्या और तीव्रता के आधार पर अवसाद के अलग–अलग प्रकार होते है जो कि माध्यम से लेकर बहुत गंभीर भी हो सकते है जिनके सफल ईलाज के लिए गहन परिक्षण ज़रूरी है। अलग–अलग लोगों में डिप्रेशन के अलग–अलग लक्षण होते है जैसे–
- दिन भर या खासकर सुबह के समय उदासी होना
- लगभग हर समय दिन में थकावट और कमजोरी का महसूस करना
- स्वयं को अयोग्य या दोषी मानना
- एकाग्रता की कमी तथा फैसले लेने में कठिनाई होना
- लगभग हर रोज़ बहुत अधिक या बहुत कम सोना
- सारी गतिविधियों में नीरसता होना
- बार–बार मृत्यु या आत्महत्या के विचार आना
- बैचैनी या आलस्य का महसूस होना
- अचानक से वजन बढ़ना या कम होना।
डिप्रेशन से बाहर निकलने का उपाय
संतुलित और सात्विक भोजन खाना। धार्मिक साहित्य पढ़ना और इंसप्रेशनल किताबे पढ़ना। योगा और प्राणायाम करना। मधुर संगीत सुनना। जल्दी सोना जल्दी उठना। रुचिकर कार्य करना। दोस्तों और परिवारवालों से बात करना उनके साथ समय बिताना।
डिप्रेशन की सबसे अच्छी दवा
दुनिया में डिप्रेशन की सबसे अच्छी दवा प्रौजैक है जो सबसे प्रसिद्ध डिप्रेशन टेबलेट नाम है यह डिप्रेशन दूर करने की सबसे आम दवा मानी जाती है। यह दवाई सबसे पहले 1988 में अमेरिका में आई थी, इसके एक साल बाद यह ब्रिटेन में आई। बॉन इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी की एक रिपोर्ट के अनुसार 2010 में यूरोप का हर 10 में से एक वयक्ति इस दवा को लेता था।
इसके अतिरिक्त यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल रिसर्च के अनुसार अमेरिका में 12 वर्ष से ऊपर के लगभग 11 फीसदी लोग इन एंटी डिप्रेसेंट्स का सेवन करते हैं। आज एलोपैथी और आयुर्वेदिक दोनों ही पद्धितियों से डिप्रेशन की सबसे अच्छी दवा है जिससे इसका उपचार किया जाता है।
- डिप्रेशन का एलोपैथी ट्रीटमेंट
- डिप्रेशन का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट
डिप्रेशन का एलोपैथी ट्रीटमेंट
एलोपैथी मे इसका इलाज साइकोथेरपी और एंटी डेप्रेसिव दवाइयों के द्वारा होता है, जिसमे चिकित्सक रोगी से बात करकर उसकी मनोस्थिति को समझता है, बातचीत का यह क्रम कई बार होता है फिर उसके अनुसार उचित दवाईया देकर उसका ईलाज करता है।
डिप्रेशन का आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट
आयुर्वेद मे इसका उपचार पंचकर्मा, नित्य प्राणायाम योगा अभ्यास, संतुलित आहार और आयुर्वेदिक औषिधियो, अश्वगंधा, ब्राह्मी, वच, शतावरी, मुलेठी और चंदन इत्यादि के द्वारा किया जाता है।
पतंजलि में डिप्रेशन की दवा
चंद्रप्रभावटी, त्रियोदशांक, गुग्गुल, अश्वशिला और पीड़ांतक।
डिप्रेशन के घरेलु उपाय
अनार, आँवला, अंगूर, मौसमी फल, काले चने, क्लैरिफ़ाइड मक्खन, कद्दू, लौकी अपने भोजन मे शामिल करे, मांसाहार और शराब से दूर रहे, प्रतिदिन व्ययाम करे, सामाजिक कार्यो मे हिस्सा ले, धार्मिक साहित्य पढ़े, असमय सोने से बचे, जंक फ़ूड से दुरी बनाये और पर्याप्त नींद ले।
अंत में निष्कर्ष
हमारी अत्यधिक महत्वकांशी होना, अपनी सेहत के प्रति उदासीनता असमय खान पिन इसके प्रमुख कारण है। ये भी एक बड़ी ही विचित्र अवस्था है, हम जिन सुखो को प्राप्त करने के लिये भागते रहते है, लेकिन उन सभी सुखो को भोगने का जो एकमात्र जरिया है वो शरीर उसका ध्यान नहीं रखते अगर हमारा यह शरीर ही नहीं रहेगा तो उन सुखो का कोई लाभ नहीं है।
इसलिये सबसे पहले अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिये, क्योकि शास्त्रों मे भी कहा है, “प्रथम सुख निरोगी काया” आपको हमारा लेख “डिप्रेशन क्या है? डिप्रेशन की सबसे अच्छी दवा कौन सी है।” कैसा लगा इस अपने विचार कमेंट बॉक्स में जरूर डालें, धन्यवाद!
आप हमारे इन आर्टिकल्स को भी देख सकते है
- मधुमेह (Diabetes) के लक्षण, कारण एवम घरेलु उपचार क्या है?
- मोटापा कम करने के रामबाण घरेलू उपाय क्या है?
- कब्ज का परमानेंट ईलाज: Best 8 Home Remedies for Constipation in Hindi
- हिंदू धर्म में मलमास अधिक मास पुरुषोत्तम मास क्या होता है?