हिंदू धर्म मे पीपल के पेड़ का धार्मिक महत्व क्या है?

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पीपल के पेड़
हिंदू धर्म मे पीपल के पेड़ का महत्व धार्मिक और आयुर्वेदिक दोनों ही रूपों में है। सनातन धर्म के अनुसार पीपल के पेड़ का धार्मिक महत्व काफी बड़ा है, इसे अत्यधिक पवित्र माना गया है। भगवत गीता में भी स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने अपनी तुलना पीपल के वृक्ष से की है।
 
भगवत गीता: चैप्टर 10: श्लोक 26
 
अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारद: ।
गन्धर्वाणां चित्ररथ: सिद्धानां कपिलो मुनि: ।। 26।।
 

अर्थ:- वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूँ। दिव्य ऋषियों में मैं नारद हूँ। गन्धर्वों में मैं चित्रथ हूँ और सिद्धों में मैं कपिल मुनि हूँ। 

पीपल के पेड़ की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए?

विष्णु पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु का प्राकटय पीपल के पेड़ के नीचे ही हुआ था क्योंकि ऐसा माना जाता है, कि उन्होंने काफी लंबे समय तक पीपल के पेड़ में ही निवास किया था। 

दूसरी मान्यता के अनुसार यह माना जाता है, कि भगवान विष्णु शनिवार के दिन माता लक्ष्मी के साथ पीपल के पेड़ में ही निवास करते हैं, इसीलिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा के साथ-साथ पीपल के पेड़ की 7 बार परिक्रमा भी करनी चाहिए इसका का विशेष धार्मिक महत्व हैं।

पीपल के पेड़ की परिक्रमा करते समय कौन सा मंत्र बोलना चाहिए?

यदि आप शनि देव के द्वारा पीड़ित है और शनि पीड़ा से मुक्ति चाहते है तो पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दिया कम से कम 18 शनिवार जरूर जलाएं और उसके बाद पीपल के पेड़ की परिक्रमा 7 या 9 बार करें तथा “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करें। 

हिंदू धर्म मे पीपल के पेड़ की पूजा कैसे करे? 

हिंदू धर्म मे पीपल के पेड़ की पूजा का महत्व बहुत अधिक है? हमारे शास्त्रों के अनुसार पीपल के पेड़ में त्रिदेवो का वास होता है, जिसमे जड़ ब्रह्मा, तना विष्णु और पत्ते शिव है। पीपल के पेड़ को हिंदू पद्धति में ही नहीं, अपितु जैन और बौद्ध पद्धति में भी बेहत शुभ माना जाता है। बौद्ध मान्यताओं के अनुसार गौतम बुद्ध ने इसी वृक्ष के नीचे आत्मज्ञान प्राप्त किया था, इसलिये इसे ‘बोधि वृक्ष’ के रूप में भी जाना जाता है।

पीपल के पेड़शास्त्रों के अनुसार पीपल वृक्ष को ब्रह्मांड के कभी न खत्म होने वाले विस्तार के प्रतीक के रूप में माना जाता है – इसलिये, पीपल भारतीय उपमहाद्वीप में विशेष रूप से हिंदु, जैन और बौद्ध धर्म में यह, ट्री ऑफ लाइफ के रूप में प्रतिष्ठित है। यही कारण है की हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ की परिक्रमा का विशेष महत्व बताया गया है। 

पेड़ पीपल के पेड़ की जानकारी   

पीपल के पेड़ का महत्व केवल पौराणिक तथ्यों के आधार पर ही नहीं है, अपितु वैज्ञानिक रूप से भी इसका बड़ा महत्व है। वैज्ञानिक प्रमाण इसकी पुष्टि करते है की यह दूसरे वृक्षो की तुलना में अधिक गुणकारी है। पीपल के पेड़ को नीम और तुलसी के साथ सबसे बड़े ऑक्सीजन प्रदाताओं के रूप में जाना जाता है।

कई वैज्ञानिक शोधों में यह सिद्ध हो चुका है, कि पीपल के पत्तों के साथ हवा का प्रवाह वातावरण में संक्रमण फैलाने वाले जीवाणुओं को धीरे-धीरे मारता है। अन्य पेड़ों की तुलना में पीपल रात में भी ऑक्सीजन को छोड़ता है। पीपल एकमात्र अकेला ऐसा पौधा है, जो दिन और रात दोनो समय आक्सीजन देता है।

पीपल के पेड़ का इंग्लिश नाम

पीपल के पेड का इंग्लिश नाम Ficus Tree है।

पीपल के पेड़ का आयुर्वेदिक महत्व 

आयुर्वेद के अनुसार, पीपल का पेड़ कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं और बीमारियों के इलाज में काफी उपयोगी है। पीपल का पेड़ अपने औषिधीय प्रभाव से पचास से अधिक शारारिक विकारों को ठीक कर सकता है, जिनमें सामान्य विकार जैसे दस्त, मिर्गी और गैस्ट्रिक की समस्या भी शामिल है। 

पीपल के पत्ते पर रखा शहद चाटने से वाणी का विकार भी दूर हो जाते हैं। आयुर्वेद बताता है, पीपल शरीर में कफ (जल) और पित्त (अग्नि) के असंतुलित होने पर शक्तिशाली रूप से अपना प्रभाव दिखता है। इसके साथ ही पाचन और त्वचा सम्बन्धी रोगो में भी लाभकारी होता है। पीपल का पत्ता स्वाभाविक रूप से कसैला होता है, इसलिये इसे गर्म करने पर, यह एक शुद्ध टॉनिक के रूप में काम करता है।  

पीपल के पेड़ के फायदे    

1.) पीपल के पेड़ की छाल और इसके पके हुऐ फल अस्थमा के इलाज में सहायक होते हैं। सबसे पहले छाल और फलों का पाउडर अलग-अलग बना लें और फिर दोनों को बराबर मात्रा में मिला लें, तथा दिन में तीन बार इस मिश्रण का सेवन करें।

2.) अस्थमा से राहत के लिए पीपल के फल को पीस कर दिन में दो बार पानी के साथ लें, तथा इसका प्रयोग 14 दिनों तक दोहराएं।

3.) पीपल के पके हुऐ फल को खाने से भूख की समस्या और पेट में जलन का इलाज होता है। पीपल के फल को पवित्र अंजीर के रूप में भी जाना जाता है।

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4.) पीपल का पत्ता एक जादुई दर्द मारक होता है, पचास ग्राम गुड़ के साथ 2-3 पीपल के पत्तों को मिलाकर उनकी गोलियां बना ले तथा इनका प्रयोग करने से पेट दर्द में राहत मिलती हैं।

पीपल के पेड़

5.) पीपल के पेड़ की छाल की चाय काफी उपयोगी होती है, जो एक्जिमा और खुजली के इलाज में काफी सहायक होती है। पीपल की छाल की पचास ग्राम राख में नीबू और देसी घी मिलाकर खुजली प्रभावित भाग पर लगाने से राहत मिलती है।

6.) पीपल के पेड़ की छाल से तैयार पाउडर को बेसन के साथ मिलाकर इसका उपयोग फेस पैक के रूप में किया जा सकता है। यह कॉम्प्लेक्शन को ब्राइट करने में मदद करता है। पीपल और बरगद के पेड़ की छाल का उपयोग बहुत से आयुर्वेदिक सौंदर्य उपचारों में किया जाता है।

7.) फटी हुई एड़ीयो को ठीक करने के लिए पीपल के पेड़ से निकले दूध या इसके पत्तों के अर्क को प्रभावित क्षेत्रों पर लगाएं। यह दरार को नरम करने और उन्हें भरने में मदद करेगा।

8.) दांत के दर्द के लिये पीपल और बरगद के पेड़ की छाल की बराबर मात्रा को लेकर उसे पानी में उबाल ले फिर नियमित रूप से इसका कुल्ला करे इससे आपको दांत के दर्द से राहत मिलेगी।

9.) पीपल की पत्तियों से दूध को निकालें और उसे आंखों पर लगाने से आँखों का दर्द ठीक हो जाता है।

10.) यदि आप अपने आहार में पीपल के पके हुऐ फल (पवित्र अंजीर) को शामिल करने से कब्ज में राहत मिलती है। यदि आप प्रतिदिन इसके 5 से 10 फल खाते हैं, तो कब्ज की समस्या का स्थायी समाधान हो जायेगा।

11.) पीपल के पेड़ के कोमल तने, धनिया के बीज और चीनी को बराबर मात्रा में मिलाकर एक मिश्रण बनाएं, तथा दिन में दो बार इस मिश्रण का 3-4 ग्राम लेंने से रक्तस्राव दस्त में राहत मिलती है।

12.) शरीर में बहुत सारी स्वास्थ्य समस्याएं रक्त में अशुद्धियों के कारण होती हैं। पीपल के पेड़ के 1-2 ग्राम बीज को शहद के साथ सेवन करने से सभी प्रकार की रक्त की अशुद्धियाँ दूर होती है।

13.) इसके रक्त को शुद्ध करने के गुण के कारण, पीपल के पेड़ के पत्तों का अर्क का उपयोग सांप के काटने के बाद शरीर की प्रणाली से जहर निकालने के लिए किया जाता है।

14.) दिल से संबंधित रोग जैसे ब्लॉकेज, हृदय की कमजोरी में, पीपल के पत्तों को उबालकर पिये। इसे बनाने के लिए, रात भर पानी में पीपल की 6 – 7 पत्तियों को छोड़ दें और सुबह उस पानी को 100 ग्राम रहने तक उबाले, और ध्यान रहे, ब्रर्तन स्टील और एल्युमिनियम का नहीं होना चाहिए। सर्वोत्तम परिणाम के लिए इसका सेवन दिन में तीन बार करे। इससे आपका ह्रदय एक ही दिन में ठीक होना शुरू हो जाएगा।

15.) पीपल के पत्तों से अर्क को निकालकर उसे गर्म करें और उसकी 2 से 3 बूंदें कान में डालने से कान के संक्रमण के इलाज करने में मदद मिलती है।

16.) नपुंसकता के लिये पीपल के फल (पवित्र अंजीर) का पाउडर आधा चम्मच दिन में तीन बार दूध के साथ लेने से यह शरीर को ताकत प्रदान करेगा।

17.) पीपल के पत्तो से बनी पत्तल पर भोजन करने से, लीवर ठीक हो जाता है।

18.) पीपल के 4 से 5 ताजा पत्तो को पीसकर उसका रस दिन में 1 से 2 बार पिलाने से यह पीलिया में आराम देना शुरू कर देता है।

19.) पीपल की छाल को गंगाजल में घिसकर घाव पर लगाने से यह तुरंत आराम देता है।

20.) नशे से मुक्ति के लिये पीपल की छाल को खांड में मिलाकर दिन में 5-6 बार इसे चूसने से किसी भी प्रकार का नशा छूट जाता है।

21.) पीपल के पत्तों का काढ़ा पिने से फेफड़े, दिल ,अमाशय और लीवर के सभी प्रकार के रोग ठीक हो जाते है। पीपल के पत्तों का काढ़ा पिने से, किडनी के रोग ठीक हो जाते है तथा यह पथरी को तोड़कर बाहर निकाल देता है।

22.) किसी भी प्रकार का डिप्रेशन हो, यदि पीपल के पेड़ के नीचे जाकर रोज 30 मिनट बैठने से यह डिप्रेशन को खत्म कर देता है।

23.) शरीर मे चोट लगने के कारण, महिलाओ के मासिक धर्म के कारण या बाबासीर में रक्त आता हो, तो पीपल के 8 से 10 पत्तो को पीसकर उसका रस पीने से तुंरत रक्त का बहना बंद हो जाता है।

24.) शरीर मे कही पर भी सूजन हो, घुटने में दर्द हो, या कही पर भी दर्द हो, पीपल के पत्तों को गर्म करके बांध दे, उससे दर्द ठीक हो जायेगा।

पीपल के पेड़ से सम्बंधित पूछे जाने वाले प्रश्न 

Q:- पीपल के पेड़ का महत्व क्या है?

हिंदू धर्म के अनुसार पीपल के पेड़ में सभी देवी देवताओं और हमारे पितरों का वास भी माना जाता है। पीपल के पेड़ को त्रिदेव स्वरूप माना गया है जिसमे जड़ भाग ब्रह्मा, मध्य भाग विष्णु ऊपरी भाग शिव को माना गया है।

Q:- पीपल के पेड़ में कब किसका वास होता है?

पीपल के पेड़ की जड़ में ब्रह्मा जी, तने में विष्णु और सबसे ऊपरी भाग में भगवान शिव का वास होता है।

Q:- पीपल के पेड़ में लक्ष्मी का वास कब होता है?

पीपल के पेड़ में लक्ष्मी जी का वास शनिवार के दिन होता है।

Q:- पीपल के पेड़ के पास कब नहीं जाना चाहिए?

रविवार के दिन पीपल में दरिद्रा का वास माना गया है, इसीलिए शास्त्रों में रविवार के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा निषेध मानी गई है। इस दिन पीपल की पूजा करने पर दरिद्रा खुश होकर पूजा करने वाले के घर चली जाती हैं।

Q:- पीपल के पेड़ के पास दीपक कब जलाना चाहिए?

प्रत्येक अमावस्या को रात्रि में पीपल के नीचे शुद्ध घी का दीपक जलाने से पितर प्रसन्न हो जाते हैं। अगर न‍ियम‍ित रूप से 41 द‍िनों तक रविवार को छोड़कर पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है।

Q:- पीपल के पेड़ पर क्या-क्या चढ़ाना चाहिए?

पीपल के पेड़ पर जल में थोड़ा सा शक्कर या गुड़ डालकर चढ़ाना चाहिए। अगर इसके साथ आप पीपल के पेड़ की 11 परिक्रमा करते है तो आपको पित्रों का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

Q:- पीपल में मीठा जल चढ़ाने से क्या होता है?

शास्त्रों के अनुसार विशेषतः शनिवार के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी निवास करते है का वास होता है। इस दिन पीपल में जल अर्पित करने से धन लाभ होता है। वही रविवार के दिन जल नहीं चढ़ाना चाहिए इससे धन की हानि होती है।

Q:- पीपल की पूजा कितने बजे तक करनी चाहिए?

पीपल की पूजा सूर्योदय के बाद करनी चाहिए, सूर्योदय से पहले पीपल की पूजा करने से घर में दरिद्रता आती है।

Q:- शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर क्या क्या चढ़ाना चाहिए?

शनि की ढैय्या और साढ़े साती से पीड़ित वयक्ति को हर शनिवार पीपल के पेड़ में जल में गुड़ और दूध मिलाकर अर्पित करना चाहिए और सूर्यास्त के बाद सरसों के तेल का दीपक जलाएं। अगर पीपल के 11 पत्तो की माला बानकर प्रत्येक पत्ते पर चंदन से जय श्री राम लिखकर उसे हनुमान जी को अर्पित करने से शनि का प्रकोप समाप्त हो जाता है।

Q:- पीपल के पेड़ पर दूध चढ़ाने से क्या होता है?

पीपल के पेड़ पर शनिवार ले दिन कच्चा दूध चढ़ाने से आपकी कुंडली के सभी ग्रह दोष शांत हो जाते है।

Q:- घर के सामने पीपल का पेड़ शुभ है या अशुभ?

वास्तु के अनुसार घर के आसपास पीपल का नहीं होना चाहिए इसे अच्छा नहीं माना जाता है।   

अंत में निष्कर्ष  

पीपल एक ऐसा वृक्ष है, जिसका पौराणिक, आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक महत्व है। इस लेख “हिंदू धर्म मे पीपल के पेड़ का धार्मिक महत्व क्या है?” के माध्यम से पीपल से जुडी आध्यात्मिक और आयुर्वेदिक जानकारिया देने का प्रयास किया गया है। 

जिससे पीपल के वृक्ष के समस्त गुणों का सभी को पता लग सके और वे अपने दैनिक जीवन में इसका लाभ उठा सके। हमारा प्रयास आपको इसी प्रकार की जानकारिया प्रदान करने का रहेगा उसके लिये हम आपसे सुझाव और मार्गदर्शन की अपेक्षा रखते है।

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