कैलाश पर्वत का रहस्य क्या है जो विज्ञानं के लिए भी एक पहेली है? भगवान शिव जो देवो के आदि देव महादेव है जिनका एक मात्र निवास स्थान कैलाश है। यह एक पवित्र और अद्भुत स्थान है, जो अनेको रहस्यों से भरा हुआ है।
कैलाश पर्वत कहां है
कैलाश पर्वतमाला भारत में कश्मीर से लेकर चीन के कब्जे में मौजूद तिब्बत और भूटान तक फैली हुई है। यह ल्हा चू और झोंग चू के बीच में कैलाश पर्वत श्रंखला है जिसके उत्तरी शिखर का नाम कैलाश पर्वत है। इस शिखर की आकृति एक विराट् शिवलिंग की तरह दिखाई देती है। कैलाश पर्वतों से बने एक षोडशदल कमल के मध्य यह स्थित है।
कैलाश पर्वत सदैव बर्फ से आच्छादित रहता है। इसकी परिक्रमा का बड़ा महत्व बताया गया है। तिब्बती (भोटिया) लोग कैलाश मानसरोवर की परिक्रमा का विशेष महत्व बताते हैं। इसकी एक बार परिक्रमा करने से एक जन्म का तथा दस बार परिक्रमा करने से एक कल्प का पाप नष्ट हो जाता है। जो लोग इसकी 108 बार परिक्रमा करते हैं उन्हें जन्म-मरण से मुक्ति मिल जाती है।
कैलाश पर्वत का रहस्य क्या है
कैलाश के विशेष महत्व के कारण ही शिवपुराण, स्कंद पुराण और मत्स्य पुराण में कैलाश खंड के नाम से एक अलग ही अध्याय को जोड़ा गया है, जहां इसकी महिमा का वर्णन किया गया है। कैलाश पर्वत का रहस्य क्या है, इस पर विज्ञान भी आज तक कोई उत्तर नहीं दे पाया है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कैलाश के पास ही कुबेर की अलकापुरी नगरी बसी हुई है। यहीं से महाविष्णु के कर-कमलों से माँ गंगा निकलकर कैलाश पर्वत की चोटी पर गिरती है, जहां भगवान शिव उन्हें अपनी जटाओं में भर कर इस धरती पर एक निर्मल धारा के रूप में प्रवाहित करते हैं।
कैलाश पर्वत का रहस्य
ऐसा कहा जाता है की कैलाश के ऊपर स्वर्गलोक और उसके नीचे मृत्यलोक बसा हुआ है। यह स्थान अनेकों अद्भुत रहस्यों से भरा हुआ हैं –
- कैलाश पर्वत धरती का केंद्र
कैलाश को धरती का केंद्र कहा जाता है, इसके एक ओर उत्तरी ध्रुव और दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव है। इन दोनों के बीचोबीच हिमालय स्थित है, इसीलिये पृथ्वी का केंद्र कैलाश पर्वत है। वैज्ञानिकों के अनुसार भी यही धरती का केंद्र है। कैलाश पर्वत दुनिया के चार मुख्य धर्मों- हिन्दू, जैन, बौद्ध और सिख धर्म की आस्था का मुख्य केंद्र है।
- कैलाश पर्वत अलौकिक शक्तियो का केंद्र
कैलाश पर्वत पर अलौकिक शक्तियों का ऐसा केंद्र है, जहाँ पर दसो दिशाये आकर मिलती है। जिसे वैज्ञानिक भाषा में एक्सिस मुंडी कहा जाता है। एक्सिस मुंडी का अर्थ होता है, दुनिया की नाभि या आकाशीय ध्रुव, जिसे भौगोलिक ध्रुव भी कहते है।
एक्सिस मुंडी धरती और आकाश के बीच में संबंध को स्थापित करने वाला एक बिंदु होता है, जहां पर सभी दिशाएं आकर मिलती हैं। रूस के वैज्ञानिकों के अनुसार एक्सिस मुंडी उस स्थान को कहा जाता है, जहां पर सुपर नेचुरल या अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता हो और आप उन शक्तियों के साथ संपर्क स्थापित कर सकते हो। कैलाश पर्वत उन्ही अलौकिक शक्तियों का केंद्र है।
- कैलाश पर्वत की पिरामिड आकृति
कैलाश पर्वत एक विशालकाय पिरामिड की तरह दिखाई देता है, जो 100 छोटे-छोटे पिरामिडों का एक केंद्र है। कैलाश की संरचना भी कम्पास में स्थित चार दिक् बिंदुओं की तरह है, और यह एक ऐसे एकांत स्थान पर स्थित है, जहां पर कोई भी दूसरा बड़ा पर्वत स्थित नहीं है।
- कैलाश पर्वत एक अजेय पर्वत शिखर
कैलाश एक अजेय पर्वत शिखर है, जिस पर अभी तक कोई भी चढ़ नहीं पाया है। जिस कारण अब कैलाश पर्वत पर चढाई करना प्रतिबंधित कर दिया गया है, लेकिन ऐसा कहा जाता है, की 11वीं सदी में एक तिब्बती बौद्ध भिक्षु मिलारेपा ने इस पर चढ़ाई की थी।
जिसे रूस के वैज्ञानिकों ने ‘यूएनस्पेशियल’ मैग्जीन के 2004 के जनवरी अंक में इस रिपोर्ट को प्रकाशित किया था। लेकिन मिलारेपा ने इस विषय में कभी किसी से कुछ नहीं कहा था और ना ही इसका कोई प्रमाण ही मौजूद है, इसलिए यह भी अब तक एक रहस्य ही है।
- कैलाश पर्वत पर दो रहस्यमयी सरोवर
इस स्थान पर दो मुख्य सरोवर हैं- पहला है, मानसरोवर जो दुनिया में शुद्ध पानी की सबसे उच्चतम झील है, इस झील का आकार सूर्य के समान है। दूसरा है, राक्षस नामक एक झील, जो दुनिया की खारे पानी की सबसे उच्चतम झील है, और इसका आकार चन्द्रमा के समान है।
ये दोनों झीलें सूर्य और चन्द्रमा के बल को प्रदर्शित करती हैं, जिसका संबंध सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से है। जब हम इसे दक्षिण से देखते हैं, तो यह एक स्वस्तिक चिह्न के रूप में दिखाई देता है। यह भी अभी तक रहस्य ही है, कि ये झीलें प्राकृतिक तौर पर निर्मित हुईं है, या फिर इन्हे ऐसा बनाया गया है।
- कैलाश पर्वत चार नदियों का उद्गम स्थल
इस पर्वत की चारो दिशाओं से चार नदियों – ब्रह्मपुत्र, सिन्धु, सतलज और करनाली का उद्गम हुआ है। इन्ही नदियों से ही गंगा, सरस्वती सहित चीन की अन्य नदियां भी निकली हैं। कैलाश की चारों दिशाओं में चार जानवरों के मुख दिखाई देते हैं, जिनसे इन नदियों का उद्गम हुआ है। पूर्व में अश्व का मुख है, पश्चिम में हाथी का मुख है, उत्तर में सिंह का मुख है, और दक्षिण में मोर का मुख है।
- कैलाश पर्वत पर पुण्यात्माओ का निवास
इस स्थान पर केवल पुण्यात्माएं ही रह सकती हैं। कैलाश और उसके आसपास के वातावरण पर अध्ययन कर चुके रूस के वैज्ञानिकों ने जब तिब्बत के मंदिरों में धर्मगुरुओं से जानकारी की तो उन्होंने बताया कि कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह बना रहता है, जिसमें तपस्वी लोग आज भी आध्यात्मिक गुरुओं के साथ टेलीपैथिक संपर्क करते हैं।
- कैलाश पर्वत पर ओम और डमरू की आवाज
कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील के क्षेत्र में लगातार एक आवाज सुनाई देती रहती है, जैसे कही आसपास में कोई एरोप्लेन उड़ रहा हो। लेकिन अगर उस आवाज को ध्यान से सुना जाये तो यह आवाज ‘डमरू’ या ‘ॐ’ की ध्वनि जैसी सुनाई देती है। इसके पीछे वैज्ञानिक ने यह तर्क दिया है, कि हो सकता है, कि यह आवाज बर्फ के पिघलने से आ रही हो, या फिर इस स्थान पर जब प्रकाश और ध्वनि आपस में मिलती है, तो उनके समागम से ही यह ‘ॐ’ की आवाज हमे सुनाई देती हो।
- कैलाश पर्वत पर अलौकिक प्रकाश का चमकना
ऐसा दावा किया जाता है, कि कैलाश पर्वत पर आसमान में सात प्रकार की लाइटें चमकती हुई दिखाई देती हैं। इसके पीछे नासा के वैज्ञानिकों का ऐसा मानना है, कि यहाँ पर उपस्थित प्रभावी चुम्बकीय बल के कारण ही इस प्रकार की लाइटे दिखाई देती हो। उनका मानना है, यहां का चुम्बकीय बल आसमान के संपर्क में आकर कई बार इस तरह की चीजों का निर्माण कर सकता है।
कैलाश पर्वत जाने का रास्ता
भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से प्रत्येक वर्ष कैलाश मानसरोवर की यात्रा का आयोजन किया जाता है। इस यात्रा के लिए तीन अलग-अलग राजमार्ग है 1. लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) 2. नाथू ला दर्रा (सिक्किम) और 3. काठमांडू है। यह तीनों रास्ते काफी जोखिम भरे है। इस यात्रा में करीब 25 दिन का समय लगता है।
- लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड)
उत्तराखंड के लिपुलेख दर्रा से कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को बर्फीली मौसम का सामना करना पड़ता है। इस रास्ते से यात्रा करने के लिए लगभग 90 किलोमीटर की ट्रैकिंग करनी पड़ती है। यह बेहद कठिन रास्ता है।
- नाथू ला दर्रा (सिक्किम)
सिक्किम के रास्ते से कैलाश मानसरोवर पहुंचने के लिए दूसरा मार्ग नाथू ला दर्रा है। यह रास्ता लिपुलेख दर्रा से थोड़ा सरल है, लेकिन यहा से यात्रा काफी महगी है।
- काठमांडू (नेपाल)
तीसरा रास्ता काठमांडू से कैलाश मानसरोवर पहुंचने का है इसके लिए श्रद्धालुओं को चीनी भूमि पर यात्रा करनी पड़ती है। इस यात्रा मे 70 से 80 प्रतिशत मार्ग चीन अधिकर्त तिब्बत की भूमि से होकर गुजरता है। इस मार्ग से श्रद्धालुओं कम पैदल यात्रा करनी पड़ती है। काठमांडू से कैलाश मानसरोवर तक का हवाई सफर भी है। हालांकि, इसमें खर्चा अधिक होता है लेकिन कम समय में कैलाश मानसरोवर की यात्रा पूरी हो जाती है।
अंत में निष्कर्ष
जितना मुश्किल है, शिव को समझना उतना ही मुश्किल है, शिव से जुड़े रहस्यों को समझना। कैलाश पर्वत को लेकर काफी शोध किये गये, लेकिन कोई भी ऐसा निष्कर्ष नहीं दे पाया जो उसके रहस्यों को सही अर्थो में उजागर कर सके।
वैसे भी शिव को तर्कों और शोध से नहीं समझा जा सकता क्योकि शिव हमारी बुद्धि की सीमाओं से परे है। आपको हमारा आर्टिकल “कैलाश पर्वत का रहस्य क्या है” कैसा लगा इस पर अपने विचार कॉमेंट बॉक्स में जरूर लिखे।
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