कालसर्प दोष हमारी जन्म कुंडली में क्या प्रभाव डालता है। वैदिक सिद्धांत में जन्म कुंडली को एक विशेष महत्व दिया जाता है। किसी वयक्ति के जन्म से लेकर उसकी, शादी, नौकरी और उसके जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण कार्यो के लिये उसकी जन्म कुंडली का उपयोग करते है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार सभी वयक्तियों की कुंडली में कई योग होते है जो उसके जीवन में आने सुख और दुख का कारण बनते है। इन्ही योगो में एक है कालसर्प, तो कालसर्प दोष क्या है? कालसर्प दोष दूर करने का 1 रामबाण उपाय, जिसकी जानकारी हम आज प्राप्त करेंगे।
कालसर्प दोष दूर करने का 1 रामबाण उपाय
कालसर्प दोष क्या है?
Kaal Sarp Dosh in Hindi
ज्योतिष में ‘काल’ को राहू का अधिदेवता माना गया है, और ‘सर्प’ को केतु का अधिदेवता माना गया है, इसलिये यदि कुंडली के सभी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में एक तरफ आ जाये तो उस कुंडली में ‘कालसर्प दोष’ का निर्माण माना जाता हैं। ज्योतिषीय मत के अनुसार कुंडली में कालसर्प होने से उस कुंडली में मौजूद अन्य शुभ ग्रह भी अपना शुभ फल प्रदान नहीं करते।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि कुंडली के भावों में सारे ग्रह दाहिनी ओर स्थित हों तो कालसर्प अधिक नुकसानदायक नहीं होता, परन्तु यदि यह बाई और हो तो यह काफी कष्टदायक होता है। कालसर्प मुख्यत 12 प्रकार के बताए गए हैं, अनंत, कुलिक, वासुकि, शंखपाल, पद्म, महापद्म, तक्षक, कर्कोटक, शंखनाद, घातक, विषाक्त और शेषनाग। जिनका एक-एक करके इस लेख में उल्लेख करेगे और साथ ही कालसर्प दोष दूर करने का 1 रामबाण उपाय भी बताएगे।
कालसर्प दोष के लक्षण
कालसर्प दोष के लक्षण और इसका प्रभाव हर वयक्ति के जीवन में अलग-अलग होता है। यदि किसी कुंडली में कालसर्प है तो उस व्यक्ति को सपने में सांप दिखाई देते हैं, अगर यदि आपको बार-बार मृत्यु के सपने आते हैं, और बहुत अधिक मेहनत के बाद भी आप सफल नहीं हो पा रहे हैं, तो यह कालसर्प दोष के लक्षण एक कारण हो सकता है।
कालसर्प दोष कितने वर्ष तक रहता है
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कालसर्प से पीड़ित व्यक्ति को लगभग 42 साल या उतनी उम्र के बाद ही सफलता मिलती है। इस दौरन ऐसे व्यक्तियो का स्वास्थ्य सही नहीं रहता है, वो जो भी काम करते है, उसमें उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। उनके विवाह से लेकर संतान सुख प्राप्त करने तक में भी बाधा आती है।
कालसर्प दोष सच या झूठ
कालसर्प दोष सच या झूठ, इसे ज्योतिष के आधार पर समझते है। कुंडली में कालसर्प होने के मुख्य कारण राहु और केतु होते है। राहु और केतु हमेशा एक दूसरे के विपरीत 180 डिग्री पर स्थित रहते है, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतू के बीच अन्य सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प योग का निर्माण माना जाता है।
कुंडली के एक घर में राहु और दूसरे घर में केतु के बैठे होने से अन्य सभी ग्रहों के एक तरफ आ जाने से आ रहे सभी शुभ फल रूक जाते हैं। इन दोनों ग्रहों के बीच में सभी ग्रह फँस जाते हैं और यह जातक के लिए एक समस्या बन जाती है। इसलिए कालसर्प दोष सच या झूठ है यदि इस दोष के कारण से काम में बाधा, नौकरी में रूकावट, शादी में देरी और धन संबंधित परेशानियाँ, उत्पन्न होने लगती हैं, तो हम इसे सच मान लेते है।
कालसर्प दोष कितने होते है
ज्योतिष ग्रंथों में 12 प्रकार के कालसर्प दोषो का वर्णन किया गया है-
1. अनन्त कालसर्प | 7. तक्षक कालसर्प |
2. कुलिक कालसर्प | 8. कर्कोटिक कालसर्प |
3. वासुकि कालसर्प | 9. शंखचूड़ कालसर्प |
4. शंखपाल कालसर्प | 10. घातक कालसर्प |
5. पद्म कालसर्प | 11. विषाक्तर कालसर्प |
6. महापद्म कालसर्प | 12. शेषनाग कालसर्प |
अब इनका एक एक करके उल्लेख करते है
अनंत कालसर्प
अगर राहु लग्न में बैठा है और केतु सप्तम में और बाकी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में हो तो कुंडली में अनंत कालसर्प का निर्माण होता है। अनंत कालसर्प योग के प्रभाव से जातक को जीवन भर मानसिक शांति का आभाव रहता है। इस प्रकार के जातक का वैवाहिक जीवन भी परेशानियों से भरा रहता है।
कुलिक कालसर्प
अगर राहु कुंडली के दुसरे घर में, केतु अष्ठम में विराजमान है और बाकी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में है तब कुलिक कालसर्प योग का निर्माण होता है। इस योग के कारण व्यक्ति के जीवन में धन और स्वास्थ्य संबंधित परेशानियाँ उत्पन्न होती रहती हैं।
वासुकि कालसर्प
जन्मकुंडली के तीसरे भाव में राहु और नवम भाव में केतु विराजमान हो तथा बाकि ग्रह बीच में तो वासुकि कालसर्प योग का निर्माण होता है। इस प्रकार की कुंडली में बल और पराक्रम को लेकर समस्या उत्पन्न होती हैं।
शंखपाल कालसर्प
अगर राहु चौथे घर में और केतु दसवें घर में हो साथ ही साथ बाकी ग्रह इनके बीच में हों तो शंखपाल कालसर्प योग का निर्माण होता है। ऐसे व्यक्ति के पास प्रॉपर्टी, धन और मान-सम्मान संबंधित परेशानियाँ बनी रहती हैं।
पद्म कालसर्प
जब जन्मकुंडली के पांचवें भाव में राहु, ग्याहरहवें भाव में केतु और बीच में अन्य ग्रह हों तो पद्म कालसर्प योग का निर्माण होता है। ऐसे इंसान को शादी और धन संबंधित दिक्कतें परेशान करती हैं।
महापद्म कालसर्प
अगर राहु किसी के छठे घर में और केतु बारहवें घर में विराजमान हो तथा बाकी ग्रह मध्य में तो तब महा पद्म कालसर्प योग का जन्म होता है। इस प्रकार के जातक के पास विदेश यात्रा और धन संबंधित सुख नहीं प्राप्त हो पाता है।
तक्षक कालसर्प
जब जन्मकुंडली के सातवें भाव में राहु और केतु लग्न में हो तो इनसे तक्षक कालसर्प योग बनता है। यह योग शादी में विलंब व वैवाहिक सुख में बाधा उत्पन्न करता है।
कर्कोटक कालसर्प
अगर राहु आठवें घर में और केतु दुसरे घर आ जाता है और बाकी ग्रह इनके बीच में हों तो कर्कोटक कालसर्प योग कुंडली में बन जाता है। ऐसी कुंडली वाले इंसान का धन स्थिर नहीं रहता है और गलत कार्यों में धन खर्च होता है।
शंखनाद कालसर्प
जब जन्मकुंडली के नवम भाव में राहु और तीसरे भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके मध्य हों तो इनसे बनने वाले योग को शंखनाद कालसर्प योग कहते है। यह दोष भाग्य में रूकावट, पराक्रम में रूकावट और बल को कम कर देता है।
पातक कालसर्प
इस स्थिति के लिए राहु दसंम में हो, केतु चौथे घर में और बाकी ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच में तब पातक कालसर्प योग का निर्माण होता है। ऐसा राहु काम में बाधा व सुख में भी कमी करने वाला बन जाता है।
विषाक्तर कालसर्प
जब जन्मकुंडली के ग्याहरहवें भाव में राहु और पांचवें भाव में केतु हो और सारे ग्रह इनके मध्य मे अटके हों तो इनसे बनने वाले योग को विषाक्तर कालसर्प योग कहते है। इस प्रकार की कुंडली में शादी, विद्या और वैवाहिक जीवन में परेशानियां बन जाती हैं।
शेषनाग कालसर्प
अगर राहु बारहवें घर में, केतु छठे में और बाकी ग्रह इनके बीच में हो तो शेषनाग कालसर्प योग का निर्माण होता है। ऐसा राहु स्वास्थ्य संबंधित दिक्कतें, और कोर्ट कचहरी जैसी समस्याएं उत्पन्न करता है।
कालसर्प दोष के फायदे
कालसर्प दोष से प्रभावित व्यक्ति के जीवन में बहुत सी बाधाएं तथा संकट आते हैं, लेकिन कभी कभी इसके विपरीत कुछ विशेष स्थिति में कालसर्प दोष के फायदे भी देखने को मिलते और यह सफलता दिलाने वाला भी हो जाता है। कालसर्प दोष के फायदे जानते है।
- यदि कुंडली में कालसर्प शुभ स्थान से बनता है तो यह उस व्यक्ति को बहुत अधिक धनवान बना देता है।
- यदि कुंडली में कालसर्प दोष के मुख स्थान पर शुक्र ग्रह शुभ स्थिति में होकर बैठा ही तो व्यक्ति का जीवन बहुत सुखमय होता है। ऐसा पुरुष या स्त्री अपने वैवाहिक जीवन का पूरा आनंद लेते है।
- यदि आपकी कुंडली में राहू अच्छी स्थिति में हो तो कालसर्प के करना वह व्यक्ति अपने जीवन में बहुत उची सफलता को प्राप्त करता है।
- यदि काल सर्प दोष के मुख में शनि ग्रह शुभ होकर बैठा हो तो ऐसे व्यक्ति दिमाग बहुत तेज होता है।
- यदि कालसर्प दोष से युक्त कुंडली में राहू और चंद्रमा शुभ स्थिति में हो, तो वह कालसर्प दोष शुभ बन जाता है। ऐसे जातक अपने जीवन में बहुत बड़े पदों (प्रोफेसर, साइंटिस्ट, शिक्षक, प्रशानिक अधिकारी) या उच्च कोटी का व्यवसाय करते हैं।
कालसर्प दोष के नुकसान
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कालसर्प दोष एक शाप की तरह है जो पिछले जन्म में किए गए बुरे कर्मों के कारण मनुष्य को इस जन्म में एक शाप की तरह भोगना पड़ता है। कालसर्प दोष के नुकसान अनेकों हैं इसमें प्रभावित व्यक्ति हर समय मानसिक रूप से परेशान रहता है घर और व्यापार में दिक्कत बनी रहती हैं।
उसे संतान की तरफ से भी कभी सुख प्राप्त नहीं होता और हमेशा मानसिक तनाव को झेलता है। उसे हर समय बुरे और डरावने सपने आते हैं। अक्सर सपने में सांप दिखाई देते है पानी में डूबना और खुद की मृत्यु दिखाई देती हैं।
कालसर्प दोष दूर करने का 1 रामबाण उपाय
अगर आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है और आप कालसर्प दोष दूर करने का 1 रामबाण उपाय खोज रहे है तो आपको नियमित रूप से भगवान शिव की उपासना करना चाहिए। इसके अलावा शनिवार के दिन बहते हुए जल में कोयले के टुकड़ों को प्रवाहित करने से भी कालसर्प दोष का प्रभाव कम हो जाता है। राहु-केतु का जप और अनुष्ठान करवाने से भी इस दोष के प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त कुछ कालसर्प दोष दूर करने के रामबाण उपाय भी दिये गये है।
- शिवलिंग पर प्रतिदिन जल चढ़ाएं।
- भगवान शिव का रुद्राभिषेक करे।
- नागपंचमी का व्रत करें।
- मोर का पंख सदा अपने निवास स्थान पर रखें।
- कुल देवता की उपासना करें।
- प्रतिदिन महा मृत्युंजय मन्त्र का जाप करें।
- हनुमान चालीसा का प्रतिदिन पाठ करें।
- मंगलवार एवं शनिवार को रामचरितमानस के सुंदरकाण्ड का पाठ श्रध्दापूर्वक करें।
कालसर्प दोष का मंत्र
कालसर्प दोष क्या है यह भी अन्य योगो की तरह कुंडली में बनने वाला एक ग्रही संयोग है जो हमारे प्रारब्ध के कारण इसका हमारी कुंडली में निर्माण होता है।
कालसर्प से भयभीत या आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है यदि वयक्ति अपना आचरण सही रखता है, और भगवान में विश्वास रखकर अपना कार्य करता है तो उसे सफलता अवश्य मिलती है।
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