आयुर्वेद हमारी प्राचीन सभ्यता का एक अति महत्वपूर्ण भाग है, जो प्राचीन काल से अपने ज्ञान और विज्ञानं के शोधो द्वारा मानव जाति को आरोग्य प्रदान कर रहा है। हमारे स्वस्थ जीवन के लिए कुछ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां अमृत के समान है। ऐसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां प्रकृति का सबसे बड़ा वरदान है।
आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां प्राकृतिक रूप से रोगी शरीर का उपचार करने का एक तरीका है, जो किसी भी प्रकार से शरीर पर विपरीत प्रभाव नहीं डालता, शायद अब इसीलिये आम लोगो का रुझान Allopathic Medicine की अपेक्षा Ayurvedic Medicine की और बढ़ रहा है।
स्वस्थ जीवन के लिए आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां कौन सी है?
आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां अपने भीतर हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाये रखने के बहुत से गुणों को समेटे हुए है। वैसे तो हमारे प्राचीन आयुर्वेद के ग्रंथो में लगभग 1,200 से अधिक औषधीयो और जड़ी-बूटियों का वर्णन मिलता है।
लेकिन हमारे आस पास ऐसी कई प्रकार की आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां मौजूद होती है, जो हमे आसानी से उपलब्ध हो सकती है, बस इसके लिये हमे इनकी सही जानकारी होना आवश्यक है। इनमें से कई पौधे तो ऐसे हैं जिन्हे हम अपने घरों में भी लगा सकते हैं।
12 आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां और उनके नाम
गिलोय (Giloy)
गिलोय को गुडूचि या अमृता नाम से भी जाना जाता है, यह अपने नाम से ही अपने सभी गुणो को प्रदर्शित करता है। आज जो आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां उपलब्ध है यह उनमे सबसे गुणकारी है यह एक बेल के रूप मे उगता है, इसके तने की डंडियों का रस निकालकर, या पानी में उबालकर अथवा उसका काढ़ा बनाकर प्रयोग किया जाता है।
गिलोय स्वाद में कड़वा लेकिन त्रिदोषनाशक होता है, इसका प्रयोग गाउट, आर्थराइटिस, त्वचा सम्बन्धी रोग, प्रमेह, हृदय रोग आदि रोगों में किया जाता है। गिलोय डेंगू हो जाने पर Blood मे Platelets की घटी हुई मात्रा को बहुत जल्दी सामान्य करता है। खून के अत्यधिक बह जाने पर और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए भी यह एक रामबाण महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है। इसका नियमित सेवन शरीर को निरोगी रखता है।
अश्वगंधा (Ashwagandha)
अश्वगंधा जिसे असगंध भी कहाँ जाता है यह आयुर्वेद चिकित्सा में सबसे अत्यधिक प्रयोग की जाने वाली महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां मे से एक है, इसकी जड़ को अच्छी तरह सुखाकर और फिर उसका चूर्ण बनाकर ही इसे उपयोग में लाया जाता है।
इसके चूर्ण के सत्व का सेवन तो और भी ज्यादा असरदायक होता है। अश्वगंधा का चूर्ण बलकारी, शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाने वाला, शुक्रवर्धक तथा खोई हुई ऊर्जा शक्ति को दोबारा प्रदान करके लंबी उम्र का वरदान देता है।
शतावरी (Asparagus)
शतावरी या शतावर भी बेल के रूप में उगती है, इसकी बेल की जड़ो को सुखाकर उनका चूर्ण बनाकर प्रयोग किया जाता है। यह बहुत गुणकारी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां है।
शतावरी भी एक प्रकार की रसायन जड़ी बूटी है, यह बौद्धिक विकास, पाचन क्रिया को सुदृढ़ बनाने वाली, नेत्र की ज्योति को बढ़ाने वाली, उदर गत वायु दोष को ठीक करने वाली, शुक्र (Sexual Stamina) को बढ़ाने वाली, नव प्रसूता माताओं में स्तन को बढ़ाने वाली औषधि है। शतावरी चूर्ण का सेवन शरीर को आयुष्मान होने का आशीर्वाद प्रदान करता है।
आंवला (Gooseberry)
आंवला एक सहज रूप में प्राप्त होने वाला फल है, जो एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां भी है, आंवले के फल को लगभग सभी प्रकार की आयुर्वेद की संहिताओं में रसायन कहा गया है। चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, भाव प्रकाश, अष्टांग हृदय जैसे सभी आयुर्वेदिक शास्त्र आंवले को एक प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला रसायन मानते हैं।
आंवले त्वचा के रोग का नाश करने वाला, ज्वर नाशक, रक्तपित्त को हरने वाला, अतिसार, प्रवाहिका, हृदय रोग आदि में बेहद ही लाभकारी माना गया है। आंवले का नियमित रूप से सेवन लंबी आयु की गारंटी को देता है।
मुलहठी (Liquorice)
आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां में मुलहठी या यष्टिमधु के तने का प्रयोग किया जाता है। यह एक बलवर्धक, दृष्टिवर्धक, पौरुष शक्ति की वृद्धि करने वाली, वर्ण को आभायुक्त करने वाली, खांसी में सर्वाधिक उपयोगी, स्वरभेद, व्रणरोपण तथा वातरक्त (Gout) में अत्यंत उपयोगी सिद्ध होती है।
इसका प्रयोग पेप्टिक अल्सर के इलाज के लिये भी किया जाता है, एसिडिटी के इलाज में भी यह बेहद कारगर औषधि है।
ब्राह्मी (Brahmi)
ब्राह्मी औषधि देखने में तो एक सामान्य सी झाड़ी की तरह लगती है, लेकिन यह एक बेहद ही असरकारी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां है। यह शरीर के नर्वस सिस्टम के लिए एक अचूक औषधि है, बच्चों के लिए यह एक स्मृति और मेधा शक्ति को बढ़ाने वाली औषधि है।
मिर्गी के उपचार में इसका खासतौर पर प्रयोग किया जाता है, मानसिक विकारों जैसे रोगों के इलाज के लिए तो यह रामबाण दवा है। इसके अलावा इसका उपयोग ज्वर, त्वचा रोगों, प्लीहा संबंधी विकारों में भी किया जाता होता है।
अशोक (Ashok)
अशोक की छाल एक बेहद ही गुणकारी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां होती है। यह स्त्री संबंधी रोगों में बेहद उपयोगी पाई गई है, यह विशेषतया श्वेत प्रदर, रक्त प्रदर, हृदय, दाहहर तथा अपच में उपयोगी साबित होती है।
वैसे इसके नाम में ही इसके गुण झलकते हैं, अशोक अर्थात अपने नाम को सिद्ध करने वाला, स्त्रियों के शोक तथा दुख को दूर करने वाला एक आयर्वेदिक औषिधि है।
हल्दी (Turmeric)
हल्दी यह भारत में सर्वाधिक रूप से मसालों में प्रयोग होने वाला वस्तु है। हल्दी बहुत ही गुणकारी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां होती है, त्वचा के रोगों में, आर्थराइटिस, रक्तशोधक, आदि में इसका खूब प्रयोग किया जाता है।
विश्वभर में हल्दी पर हुऐ कई शोधो में यह जानकारी प्राप्त हुई है की हल्दी कई प्रकार के कैंसर के इलाज में भी इसके आश्चर्यजनक परिणाम सामने आए हैं।
नीम (Neem tree)
नीम का पेड़ भारत हर जगह पाया जाता और यह बेहद उपयोगी माना गया है। इसके सूखे पत्तो को लोग कपड़ो को रखने वाली जगह पर रखकर उसका कीटनाशक के रूप में प्रयोग करते हैं।
इसके अतिरिक्त इस आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां का प्रयोग किसी भी प्रकार के त्वचा रोग में काढ़े और लेप के रूप में प्रयोग किया जाता है। स्नान के दौरान भी इसकी पत्तियों का प्रयोग बेहद लाभकारी माना गया है।
सहजन (Seepage)
यह पेड़ पूरे भारत में बहुतायत में पाया जाता है तथा मुख्य रूप से इसके पत्ते और फलियों का उपयोग किया जाता है।
इसकी फलियों को तो दक्षिण भारतीय डिश सांभर में भी डाला जाता है। यह एक बलवर्धक आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां होने के साथ साथ जीर्ण ज्वर में भी बेहद उपयोगी मानी जाती है।
तुलसी (Basil)
यह आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां पौधा भारत वर्ष के कई घरों में मिल जाएगा तथा सामान्य सर्दी-खांसी से लेकर ज्वर इत्यादि में भी इसका उपयोग किया जाता है।
इसकी हर्बल चाय तो विश्वभर में प्रसिद्ध है, यह प्राकृतिक वातावरण को शुद्ध करती है तथा बैक्टिरियल इन्फेक्शन को झट से खत्म करने वाली औषधि होती है। रोग की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना इसका एक प्रमुख मौलिक गुण है।
घृतकुमारी (Aloe Vera)
यह भी सर्वाधिक रूप से पाया जाने वाला एक छोटा-सा मांसल पत्तियों वाला आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां है जो कि कई प्रकार के रोगों में अत्यंत उपयोगी होता है। इसके पत्तों के बीच का गूदा बाह्य त्वचा रोगों के उपयोग में काम आता है।
स्त्रियों के मासिक धर्म की अनियमितता को खत्म करने में यह एक कारगर दवा है। यकृत (लीवर), तिल्ली (स्पलीन) तथा पाचन संबंधी बीमारियों और आर्थराइटिस के इलाज में भी इसका बखूबी प्रयोग किया जाता है।
आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां पर निष्कर्ष
हमारे आस पास ऐसे बहुत सी महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधीय होती है जिनका रोजाना प्रयोग हमारे दैनिक जीवन में स्वास्थ्य के लिये काफी लाभकारी होता है। बस उसके लिये हमे थोड़ी सी जानकारी की आवश्यकता होती है।
आयुर्वेदिक दवाओं का सबसे बड़ा फायदा यह है की ये शरीर पर विपरीत प्रभाव नहीं डालती है। ऐसी ही कुछ महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक औषधियों का उल्लेख ऊपर लेख “12 आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां जो शरीर को निरोगी बना सकती है?” में किया गया है, अपेक्षा है की यह जानकारी आपके लिये उपयोगी सिद्ध होगी।
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