मार्जिन ट्रेडिंग क्या है, मार्जिन ट्रेडिंग पर ब्याज दर कितनी है?

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मार्जिन ट्रेडिंग
मार्जिन ट्रेडिंग

क्या आपको लगता है की कभी अपने एक अच्छा ट्रेडिंग का मौका गँवाया वो भी फंड की कमी के कारण। लेकिन क्या आप अपनी खरीद शक्ति के 4x का लाभ उठा कर उस ट्रेडिंग को अपने पक्ष में सील कर सकते हैं, ऐसा मार्जिन ट्रेडिंग के साथ संभव है। तो क्या आप जानना चाहेगे की मार्जिन ट्रेडिंग क्या है?

मार्जिन ट्रेडिंग एक प्रकार से उधार लेने वाले संसाधनों जैसे – फंड या सिक्योरिटीज़ के साथ मार्जिन ट्रेडिंग करने वाले निवेशकों को मार्जिन मनी के साथ मार्केट में ट्रेड करने की सुविधा प्रदान करती है, इसलिए यह यह एक लिवरेज प्रक्रिया है। मार्जिन ट्रेडिंग पर ब्याज में यह प्रक्रिया फंड और सिक्योरिटीज़ के लिए उधार लेने की सुविधा को सपोर्ट करती है।

मार्जिन ट्रेडिंग क्या है

मार्जिन ट्रेडिंग को अगर हम सरल भाषा में समझे तो यह स्टॉक खरीदने के लिए ब्रोकर से पैसे उधार लेने की प्रक्रिया है। यनिकी कोई भी निवेशक जितना उस समय उसके पास उपलब्ध धन है, वह उससे अधिक की सिक्योरिटीज़ को खरीद सकता है।

यह एक प्रकार से स्टॉक ब्रोकर्स के द्वारा निवेशको को प्रदान की जाने वाली एक उपयोगी सुविधा है, जो निवेशकों को एक बड़ा दाव खेलने में मदद करती है और परिणामस्वरूप इसके संभावित लाभ को बढ़ावा देती है। यदि आप मार्जिन ट्रेडिंग पर ब्याज सुविधा का लाभ उठाने चाहते है तो आपको ब्रोकर के साथ मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा (MTF) अकाउंट खोलना होगा।

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इसमे ब्रोकर के द्वारा एक न्यूनतम शेष राशि डिमांड की जाती है जिसे आपको अपने मार्जिन अकाउंट में बनाए रखना होता है, इसे न्यूनतम मार्जिन कहते है। कोई भी निवेश शुरू करने से पहले, उस निवेशक को कुल व्यापार मूल्य का एक निश्चित प्रतिशत जमा करना होता है और शेष निवेश राशि ब्रोकर द्वारा प्रदान की जाती है। ब्रोकर जो राशि उधार देता है उस पर ब्याज लगता है।

मार्जिन ट्रेडिंग
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मार्जिन ट्रेडिंग कैसे काम करती है

मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा (MTF) अकाउंट खुलने के बाद, ब्रोकर इस अकाउंट में धनराशि को डाल देता है जिसका उपयोग निवेशक शेयर को खरीदने के लिए करता है। यह एक प्रकार से न्यूनतम मार्जिन या खरीदी गई सिक्योरिटीज़ के ऐवज में ब्रोकर द्वारा प्रदान किया गया ऋण है।

इसे ऐसे समझते है मान लीजिए कि एक निवेशक 1,00,000 रुपये के शेयर खरीदना चाहता है। लेकिन उसके पास पूरी राशि नहीं है। लेकिन वह इन शेयर को खरीदने के लिए कुल राशि के एक हिस्से का ही भुगतान कर सकता है। यही मार्जिन मनी होती है।

मान लेते कि इस मामले में मार्जिन 20% है। तो यहा वह निवेशक इन शेयर खरीदने से पहले ब्रोकर को 20,000 रुपये (1,00,000 रुपये का 20%) देगा, इसके बाद शेष 80,000 रुपये वह ब्रोकर उस निवेशक को उधार देगा। यहा उस निवेशक ब्रोकर द्वारा प्रदान इस मार्जिन ट्रेडिंग पर ब्याज का भुगतान करना होगा।

मार्जिन ट्रेडिंग पर ब्याज

मार्जिन ट्रेडिंग करने से निवेशको के लिए ट्रेडिंग के अवसरों को प्राप्त करना आसान हो जाता है क्योंकि उन्हें निवेश करने के लिए राशि के इंतिजाम के बारे में ज्यादा चिंता करने की आवश्यकता नहीं होती है। मार्जिन ट्रेडिंग पर ब्याज वह ब्याज होता है जो आपके पोर्टफोलियो की सिक्योरिटीज़ के संबंध में आपके और आपके ब्रोकर के बीच लिए गए ऋणों पर लगा ब्याज होता है।

उदाहरण के लिए, यदि आप 10% मार्जिन के साथ केवल ₹100 लगाकर ₹1,000 मूल्य के शेयर खरीदना चाहते हैं। तो उसके लिए आपको अतिरिक्त ₹900 के मार्जिन लोन की आवश्यकता होगी, जिसके लिए आपको ऋण लेना होगा, जिस पर ब्याज देंगे।

मार्जिन ट्रेडिंग
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यदि आपके पास एक मार्जिन ट्रेडिंग अकाउंट है, तो आपको यह समझना आवश्यक है कि इस मार्जिन ट्रेडिंग पर ब्याज को कैसे कैल्क्युलेट करते है ताकि आप जरूरत पड़ने पर स्वयं इसकी कैलकुलेशन करने में सक्षम हो सके। इसके लिए आपको यह पता लगाना होगा कि आपका ब्रोकर पैसा उधार देने के लिए किस मार्जिन ब्याज दर पर चार्ज कर रहा है।

वैकल्पिक रूप से, इन सब चीजों की जानकारी फर्म की वेबसाइट पर हो सकती है, जैसा कि अकाउंट विवरण, मासिक और त्रैमासिक अकाउंट विवरण आदि। वैसे एक ब्रोकर आमतौर पर अपनी फीस और लागत तथा अपनी मार्जिन दरों को अपनी वेबसाईट पर सूचीबद्ध करके रखता है।

अक्सर, मार्जिन ट्रेडिंग पर ब्याज दर कितनी होगी यह आपके ब्रोकर के पास रखी गई सिक्योरिटीज़ की संख्या पर ज्यादा निर्भर करती है। आपके पास पैसा जितना अधिक पैसा, मार्जिन ट्रेडिंग पर ब्याज उतना ही कम होगा, जिसका भुगतान आपको करना होगा।

मार्जिन ट्रेडिंग पर ब्याज की गणना 

एक बार जब आप चार्ज की जाने वाली मार्जिन ट्रेडिंग पर ब्याज दर को ज्ञात कर लेते है, तो उसके बाद एक पेंसिल, एक कागज और एक कैलकुलेटर लेकर आप मार्जिन ट्रेडिंग पर ब्याज कुल कितना होगा यह पता लगाने के लिए तैयार हो जाये। यहाँ आप इसे एक उदाहरण से समझ सकते है:

मान लीजिए कि आप एक शेयर खरीदने के लिए ₹30,000 अपने ब्रोकर से उधार लेते हैं, और आप इस शेयर को 10 दिनों की अवधि के लिए होल्ड करके रखना चाहते हैं, जिसके लिए आपको मार्जिन ब्याज दर 6% सालाना के हिसाब से अदा करनी होंगी।

अब आप सबसे पहले, जो राशि आपने उधार ली है उस राशि को लें और इसे सालाना ब्याज दर से गुणा करें

₹30,000 x .06 (6%) = ₹1,800

इसके आपको संख्या प्राप्त हो उसे ले और इसे एक वर्ष में दिनों की संख्या से विभाजित कर दे। आपको बता दे ब्रोकरेज उद्योग आमतौर पर ब्याज की गणना के लिए 360 दिनों का उपयोग करता है न कि 365 दिनों का।

₹1,800 / 360 = 5

अब इसके बाद, जो संख्या आपको प्राप्त हुई है उसे उधार लिए गए दिनों की कुल संख्या से गुणा कर दे

5 x 10 = ₹50

यनिकी इस उदाहरण के हिसाब से यदि आप 10 दिनों के लिए ₹30,000 उधार लेटे है तो इसके लिए मार्जिन ट्रेडिंग पर ब्याज ₹50 होंगे।

वैसे मार्जिन ट्रेडिंग का उपयोग अक्सर निवेशक अपने मुनाफे को बढ़ाने के लिए करते है, इसका प्रयोग तब करे जब आपका स्टॉक ऊपर जा रहा हो और आप उस स्थिति में एक लीवरेज्ड खरीदारी कर सके, लेकिन ध्यान रहे यह आपके नुकसान को भी बढ़ा सकता है यदि आपके स्टॉक की कीमत गिरने लगती है।

ऐसी स्थिति में आपको मार्जिन कॉल लेनी होगी या आपको अपने नुकसानों को कवर करने के लिए अधिक नकदी जोड़ने की आवश्यकता होगी। इसलिए यह याद रखें कि इस ट्रेड में आपको लाभ हो या हानि आपको मार्जिन ट्रेडिंग पर ब्याज का भुगतान करना होगा जिसकी गणना मूल लेनदेन के हिसाब से होगी।

अंत में निष्कर्ष 

मार्जिन ट्रेडिंग एक जोखिम भरा व्यवसाय माना जाता है, लेकिन अगर इसे ठीक प्रकार से मैनेज किया जाए, तो यह लाभदायक भी हो सकता है। यह कुछ शेयर के मूल्यों तक आपकी पहुंच को आसान बना देता है। लेकिन मार्जिन पर किसी व्यापार में प्रवेश करते समय उसमे निवेश की सही लागत क्या होगी, यह निर्धारित करने के लिए आपको उधार लेने की लागत की गणना करना बहुत जरूरी है, यही गणना आपको लाभ या हानि को सटीक रूप से दर्शाएगी।

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