जो भी लोग अपना कोई वेबसाइट या ब्लॉग बनाना चाहते है उनका सबसे पहला प्रश्न यह होता है की डोमेन नेम क्या है और डोमेन नेम सिस्टम को कैसे समझे। डोमेन नेम को जानने के साथ हमे यह भी जानना चाहिए की उसका स्ट्रक्चर कैसा होता है।
डोमेन नेम क्या है
What is Domain Name in hindi
इंटरनेट की दुनिया में डोमेन नेम प्रत्येक वेबसाइट का एक Identification Code या उसकी एक पहचान होता है। DNS यानिकी डोमेन नेम सिस्टम है, जो हर वेबसाइट को एक नाम प्रदान करता है। ताकि सभी लोग उस वेबसाईट को आसानी से पहचान सके।
टेक्नोलॉजिकली हर वेबसाइट अपने एक आईपी एड्रैस (इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रैस) से जुड़ी हुई होती है, यहाँ यह IP Address Numerological Form में होता है, जो देखने में कुछ न्यूमेरिकल फॉर्म (Ex:136.125.114.103) में होता है।
जब हम सर्च ब्राउजर में किसी भी वेबसाइट का डोमेन नेम टाईप करते हैं, तो उस डोमेन नेम सिस्टम से जुड़ा हुआ IP Address उस सिस्टम को यह बताता है की वह वेबसाईट कहाँ पर है।
- Structure of Domain Name
- डोमेन नेम (Domain Name)
डोमेन नेम किसी भी डोमेन की hierarchy का दूसरा लेवल होता है (टॉप लेवल डोमेन के बाद), यह एक विशिष्ट TLD पर डोमेन नेम सिस्टम (जिसे रूट डोमेन कहा जाता है) को रजिस्ट्रर करके खरीदा जाता हैं जो उस वेबसाइट के specific और unique location का प्रतिनिधित्व करता हैं। नीचे दिये उदाहरणों में, डोमेन नेम बोल्ड किए गए हैं:
www.hindiwebbook.com
https://realwebinfo.com
www.myspiritualdiary108.com
- टॉप -लेवल डोमेन नेम
टॉप-लेवल डोमेन (TLD) एक प्रकार से एक औपचारिक शब्द है जो डोमेन नेम नाम के अंत में दिखाई देता है। टॉप-लेवल डोमेन के कुछ उदाहरणों में शामिल हैं:
.com | .org |
.net | .edu |
- रूट डोमेन नेम
“रूट डोमेन” शब्द मूल रूप से DNS (डोमेन नेम सिस्टम) के संदर्भ में बनाया गया था, यह आम तौर पर एक पूर्ण “वेबसाईट एड्रैस” बनाने के लिए एक यूनीक डोमेन नाम और एक टॉप-लेवल डोमेन (एक्सटेंशन) के संयोजन को संदर्भित करता है।
आपकी वेबसाइट का रूट डोमेन आपकी साइट की hierarchy (आपका होमपेज) में highest page होता है। अलग-अलग पेज या सब डोमेन, रूट डोमेन से ही बनाए जा सकते हैं, लेकिन इसे आपकी वेबसाइट का हिस्सा बनने के लिए प्रत्येक पेज के URL में तकनीकी रूप से समान रूट डोमेन शामिल होना चाहिए।
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रूट डोमेन के उदाहरणों में शामिल हैं:
- hindiwebbook.com
- Ilovedogs.net
- PawneeIN.gov
- सब डोमेन (Sub Domain)
सब डोमेन आपके टॉप लेवल डोमेन नेम का एक हिस्सा होता है, जिसे ख़रीदा नहीं जाता यह आपको टॉप लेवल डोमेन नेम सिस्टम के साथ मिलता है, यह एकदम फ्री होता है। इसे आप अपने सब डोमेन नेम के साथ विभाजित कर सकते है।
इसे हम इस प्रकार समझ सकते है यहाँ hindiwebbook.com एक टॉप लेवल डोमेन नेम है, यदि इसे english.hindiwebbook.com में विभाजित कर दिया जाये तो इसमें English एक सब डोमेन होगा।
जब हम Blogger.com फ्री में कोई वेबसाइट या ब्लॉग बनाते हैं तो उसमे हमे अपनी साइट का नाम सब डोमेन सिस्टम के रूप दिया जाता है।
hindiwebbook.blogspot.com
यहाँ पर hindiwebbook ही सब डोमेन कहाँ जायेगा तथा blogspot.com यहाँ पर Main DNS होगा, क्योकि गूगल अपनी सभी सर्विसेज को Main Domain से जोड़ कर उन्हें सब डोमेन के रूप में बनाये रखता है। इसे हम कुछ उदाहरण के द्वारा आसानी से समझ सकते हैं।
- maps.google.com
- mail.google.com
यहाँ पर maps और mail दोनों ही sub domain है।
डोमेन नाम और डीएनएस (डोमेन नेम सिस्टम) में क्या अंतर है
डोमेन नाम और डीएनएस (डोमेन नेम सिस्टम) के बीच मुख्य अंतर यह है कि डोमेन नाम मूल रूप से उपयोगकर्ता द्वारा वेब ब्राउज़र के सर्च बार में टाइप किया जाता है ताकि किसी विशिष्ट वेबपेज तक पहुंचा जा सकें।
जबकि डोमेन नेम सिस्टम (डीएनएस) और कुछ नहीं बल्कि एक प्रकार का सिस्टम है जो डोमेन नाम को पहचानता है और उसे आईपी एड्रैस में कन्वर्ट करता है, जिससे उस वेबपेज तक पहुंचना आसान हो जाता है।
डोमेन नाम:- डोमेन नाम एक शॉर्टकट है जिसका उपयोग हम उस विशिष्ट वेब पते पर जाने के लिए करते हैं जिसे हम चाहते हैं। जहाँ मुख्य रूप से दो चीजें होती हैं। एक वेबसाइट का नाम है, जैसे कि hindiwebbook, और उसके बाद एक्सटेंशन जैसे .com
डोमेन नेम सिस्टम:- DNS का काम उपयोगकर्ताओं द्वारा टाइप किये गये डोमेन नामों को समझने में मदद करना है, और अंततः उन्हें पढ़ने योग्य IP Address में परिवर्तित करना है जिससे वांछित वेबपेज को प्राप्त किया जा सके। सरल भाषा में, डीएनएस एक गाइड की तरह है जो आपको उस स्थान पर ले जाता है जहां आप पहुंचना चाहते हैं।
डीएनएस की प्रक्रिया को समझने के लिए, यहां कुछ चरण दिए गए हैं जो आपको इसे और भी बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे।
आप एक डोमेन नाम टाइप करें और एंटर दबाएं। उदाहरण के लिए: hindiwebbook.com, myspiritualdiary108.com, google.com
अब यह अनुरोध स्वचालित रूप से एक DNS Resolver को निर्देशित किया जाता है।
जहाँ से इस अनुरोध को एक डोमेन नेम सिस्टम (DNS) रूट नाम सर्वर पर निर्देशित किया जाता है।
अब, ISP DNS Resolver के अनुरोध को .com डोमेन के लिए TLD सर्वर को निर्देशित करता है।
यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि मशीन यह न समझ ले कि आपको कहाँ ले जाना है।
वेब सर्वर और डोमेन नाम क्या है?
वेब सर्वर और डोमेन नाम में क्या अंतर है? यह उन लोगों के लिए एक बहुत ही सामान्य सा प्रश्न है जो अपनी वेबसाइट को लॉन्च करने की सोच रहे हैं।
वेब सर्वर और डोमेन नाम दोनों एक साथ अच्छी तरह से चलते हैं – वास्तव में, एक दूसरे के बिना शायद ही ये दोनों कभी मौजूद हो, आप इन्हे बर्गर और फ्रेंच फ्राइज़ की तरह एक साथ देख सकते है।
डोमेन नाम वेब पर आपकी वेबसाइट का पता होता है। यह वेबसाइट की पहचान करता है और लोगों को अपने क्रोम या फ़ायरफ़ॉक्स के माध्यम से इसे खोजने में मदद करता है।
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वेब सर्वर वह स्थान है जहां आपकी वेबसाइट की फाइलें (और आपकी वेबसाइट का सारा डेटा) रखा जाता हैं, और जहां से आपके वेबसाइट विज़िटर द्वारा वेबसाइट तक पहुंचा जा सकता है। आमतौर पर, एक वेब सर्वर एक विशेष प्रकार का कंप्यूटर होता है।
डोमेन नाम रजिस्ट्रेशन कैसे करें
Domain Name Registration in Hindi, डोमेन नाम रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया बड़ी सरल होती है, वैसे तो आज बहुत सी ऐसी कम्पनियाँ जो डोमेन नेम प्रोवाइड करती है, जैसे Godaddy, Bigrock आदि आप किसी भी वेबसाइट पर जाकर अपना डोमेन नेम रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को कर सकते है, इसका प्रोसेस बड़ा ही सरल होता है।
सबसे पहले आप Godaddy की वेबसाइट पर जाकर Sign in के ऑप्शन पर जाकर Create an अकाउंट पर क्लिक करना है।
वहाँ आपको कुछ ऑप्शन दिखाई देंगे जैसे
- Continue with facebook
- Continue with google
- Continue with gmail
इनमे से आप कोई भी ऑप्शन को सेलेक्ट कर सकते है, यहाँ पर अपनी सभी डिटेल्स को फील करने के बाद यह आपको एक PIN नंबर के लिए बोलेगा यह नंबर आपको डालना जिसे आप याद रख सके जो आपको इनकी कस्टमर केयर सपोर्ट से बातचीत के समय काम आयेगा।
इस सब प्रकियो के बाद आपका अकाउंट क्रिएट हो जायेगा, जहा से आप अपना डोमेन नेम सेलेक्ट करके उसे रजिस्टर कर सकते है।
डोमेन नेम सिस्टम को सेलेक्ट करने के बाद आपको क्रेडिट या डेबिट कार्ड से पेमेंट करनी होगी। पेमेंट के समय यह आपको कुछ एक्स्ट्रा सर्विसेज भी ऑफर करेंगे जो आपको अपनी आवश्यकता के अनुसार ही सेलेक्ट करनी है।
इस प्रकिर्या से आप डोमेन नाम रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को आसानी से पूरा कर सकते है। यहाँ पर Godaddy के माध्यम से आपको डोमेन नेम रजिस्ट्रेशन में बताया गया है। वैसे आप किसी भी प्लेटफार्म से डोमेन नेम रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को कर सकते है सभी जगह एक ही तरह से डोमेन नाम रजिस्ट्रेशन प्रोसेस को किया जाता है।
डोमेन नेम सिस्टम और यूआरएल में अंतर
DNS (डोमेन नेम सिस्टम), यहाँ इसका मुख्य काम डोमेन नेम को आईपी एड्रैस में कन्वर्ट करने का होता है। जब डोमेन नेम आईपी एड्रैस में बदल जाता है, तो सर्वर उस आईपी एड्रैस को जो सर्वर द्वारा उस Particular domain name को दी गई है, उसका सारा डाटा खोज कर उसे एक वेब पेज के रूप में हमे दिखा देती है।
URL (Uniform Resource Locator), जब हम सर्च ब्राउजर में किसी वेबसाईट का डोमेन नेम टाईप करके उसे ओपन करते है, तो सर्च बार में एक कोड जेनरैट हो जाता है। जिसमे कुछ नंबर और कुछ ऐल्फाबेट होते है, जिसे उस वेबसाईट का यूआरएल कहाँ जाता है, जो कुछ इस प्रकार का दीखता है।
https://www.hindiwebbook.com/2020/08/hindi-me-blogging-kaise-shuru-kare.html
इसमें जो Red वाला हिस्सा है, वही वेबसाइट का नाम होता है जिसे domain name कहाँ जाता है। यहाँ domain name को टेक्नोलॉजी की भाषा में DNS कहां जाता है।
डोमेन नेम सिस्टम क्या है और कैसे काम करता है
डोमेन नेम सिस्टम इसे ऐसे समझते है, जब हम कोई वेबसाईट या ब्लॉग बनाते है तो हम उसमे डाटा, इमेज और वीडियो को उस वेबसाईट पर अपलोड करते है, जो उस वेबसाईट के Hosting Server पर स्टोर हो जाता है। जहाँ उस सर्वर द्वारा उस वेबसाईट को एक Particular IP Address दिया हुआ होता है।
जिसके द्वारा सर्वर उसकी पहचान करता है। जब कोई उपयोगकर्ता डोमेन नेम को सर्च बार में टाईप करता है, तो डोमेन नेम सिस्टम तुरंत अपने आईपी एड्रैस में कन्वर्ट हो जाता है, जिसकी पहचान सर्वर द्वारा कर ली जाती है। तब सर्वर उस वेबसाईट पर उपलब्ध सभी जानकारी को वेब पेज के रूप में उस उपयोगकर्ता के सामने ओपन कर देता है।
डोमेन नेम सिस्टम को आईपी एड्रैस के लिए ही प्रयोग किया जाता है, क्योकि आईपी एड्रैस हमेशा नंबर की फॉर्म में होता है उदहारण के लिये Ex. 136. 124. 115. 105 जिसे याद रखना ह्यूमन माइंड के लिये आसान नहीं होगा।
इसलिये डोमेन नेम सिस्टम का प्रयोग किया जाता है जिसे हम आसानी से याद रख सकते है, और अपने मन की इच्छा के अनुरूप उसका चुनाव भी कर सकते है। आपके द्वारा चुने डोमेन नेम को सर्वर द्वारा एक आईपी एड्रैस दे दिया जाता है, जिसे सर्वर उपयोगकर्ता द्वारा मांगे जाने पर एक वेब पेज के रूप में ओपन कर देता है।
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डोमेन नेम के प्रकार
वैसे तो डोमेन नेम सिस्टम कई प्रकार के होते है, लकिन Generally कुछ डोमेन ऐसे होते जिनसे हम थोड़ा जायदा Familiar होते है, किसी भी वेबसाईट के लिये उसका डोमेन नेम काफी महत्वपूर्ण होता है, क्योकि डोमेन नेम जितना Catchy होगा उसे याद रखना उतना ही आसान होगा।
- TLD (टॉप लेवल डोमेन)
इस प्रकार के डोमेन को DNS Structure में सबसे Highest Level पर रखा जाता है। इस तरह के डोमेन को चुनने के बहुत सारे फायदे भी होते है, क्योकि गूगल और उसकी तरह के दूसरे सभी सर्च इंजन इन्हे प्राथमिकता देते हैं, और ये लगभग सभी देशों में मान्य भी होते है। TLD के होने से आपकी वेबसाईट या ब्लॉग को जल्दी रैंकिंग मिल जाती है। TLD दूसरे डोमेन की तुलना में अधिक SEO Friendly होते है।
डोमेन नाम की आवश्यकता क्यों होती है
इंटरनेट पर, आपका डोमेन नाम आपकी एक विशिष्ट पहचान होता है। कोई भी व्यक्ति, जो किसी व्यवसाय या संगठन जो की इंटरनेट पर उपस्थित हो उसकी योजना बना रहा है, उसे एक डोमेन नाम में अवश्य निवेश करना चाहिए।
डोमेन नाम सिस्टम, वेबसाइट और ईमेल पता होने से आपको और आपके व्यवसाय को अधिक पेशेवर रूप मिलता है। एक व्यवसाय के लिए एक डोमेन नाम को रजिस्टर करना एक तरह से कॉपीराइट और ट्रेडमार्क की रक्षा करना, साख का निर्माण करना, ब्रांड जागरूकता बढ़ाना और सर्च इंजन में अपनी स्थिति को बनाना है।
- .com (Highest Rank Domain)
- .edu (Education Related)
- .net (Technology Related)
- .org (Non Govt Organization)
- .biz (Business Related)
- .gov (Governmental Related)
- .info (Information Related)
- .mil (Military Related)
यहाँ हम TLD को भी कुछ भाग में विभाजित कर सकते हैं
- GTLD (Generic Top Level Domain)
इसके कुछ Example इस प्रकार है:
- .com
- .net
- .biz
- .org
- .gov
- CCTLD (Country Code Top Level Domain)
इस तरह के डोमेन नेम का उपयोग किसी देश की एक Particular Identity के रूप में किया जाता है, जो उस Country का एक Extension Code होता है, जिसे हम ISO CODE से भी नामित कर सकते है यह Two Letters का होता है होता है। निचे कुछ Example दिये गये है।
- .us: United States
- .in: India
- .uk: United Kingdom
- .ch: Switzerland
- .cn: China
- .ru: Russia
- .br: Brazil
- SLD (Second Level Domain)
यहाँ SLD का नंबर TLD के बाद में आता है, इसका Extension TLD से थोड़ा अलग तरह का होता है, इसे हम कुछ Example से समझ सकते है।
Example : co.in इस तरह का डोमेन आपने जरूर देखा होगा जिसमे .co SLD (Second Level Domain) और .in TLD (Third Level Domain) होता है।
Inverse डोमेन क्या है
Inverse domain का उपयोग किसी नाम के पते को मैप करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, जब किसी server में क्लाइंट के द्वारा किसी कार्य को करने का अनुरोध प्राप्त होता है, तो इस प्रकार की Query को Inverse या पॉइंटर (PTR) Query कहा जाता है।
ऐसी पॉइंटर Query को हैंडल करने के लिये inverse domain को First-Level Node के साथ domain name में जोड़ा जाता है जिसे arpa (for historical reasons) कहा जाता है। तथा दूसरे स्तर के Single Node को in-addr (for inverse address) कहां जाता है। इसके आलावा जो domain name में बाकि रहता है, उसे आईपी एड्रेस कहते है।
Top DNS Provider Companies के नाम
यदि आप कोई ब्लॉग या वेबसाईट बनाने की सोच रहे तो आप इन Companies से अपने लिये मनचाहा domain खरीद सकते है। इसके लिये आपको इन वेब पोर्टल पर जाकर अपना एक Account बनाना होगा, फिर अपना डोमेन नेम चूज करके उसे रजिस्टर कर सकते है।
GoDaddy | 1and1 |
Zentlive | |
Hostinger | Bluehost |
Namecheap | HostGator |
BigRock | EWebguru |
Net4India | Dreamhost |
Square Brothers | Shopify |
India Links | Buydomains |
डोमेन नेम कैसा होना चाहिये?
- डोमेन नेम चुनते वक्त कोशिश करे वह छोटा हो जिसे आसानी से याद रखा जा सके।
- डोमेन नेम टाईप करने और बोलने मे आसान होना चाहिये।
- आपका डोमेन नेम आपके प्रोडक्ट और सर्विस से मिलना चाहिये ताकि वह आसानी से एक ब्रांड बन सके।
- डोमेन नेम में किसी Special Character या किसी Hyphen और Numbers का प्रयोग न करे।
- कोशिश करे की डोमेन को रजिस्टर करते वक्त टॉप लेवल डोमेन को ही चूज करे।
इस लेख के द्वारा आपको “डोमेन नेम क्या है, डोमेन नेम सिस्टम को उदाहरण सहित समझाइए” से सम्बंधित सभी प्रकार की जानकारियाँ देने का पूर्ण प्रयास किया गया है, अगर फिर भी कुछ जानकारी रह गई हो उसके लिये हम आपसे क्षमा मांगते है, और उसके लिए आपसे सुझाव मांगते है ताकि इसे और बेहतर ढंग से प्रस्तुत किया जा सके।
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बहुत ही उपयोगी जानकारी
धन्यवाद सुधा जी आपके उत्साह वर्धन के लिए